Zero Technology Time
जब आप खुद पर फोकस करना शुरू करेंगे, तो सबसे बड़ी चुनौती आप के सामने होगी कि समय कहाँ से निकालें, चाहे खुद की तारीफ करना हो, चाहे खुद को पर्सनल मिनट देना हो, चाहे खुद का पर्सनल ब्रांड बनाना हो, चाहे खुद का विज़न डॉकयुमेंट बनाना हो, आपको सदा समय की कमी महसूस होगी। इस समय की कमी को हराकर ही जीवन को जीता जा सकता है ।
जिस भी व्यक्ति को समय की कमी महसूस होती है, वो यह गलतफहमी ना पाले कि वह बहुत व्यस्त है, बल्कि सच यह है कि उसका समय प्रबंधन सही नहीं है। जिसका समय प्रबंधन सही है, उसको कभी सही चीजों के लिए समय की कमी नहीं पड़ती।
अपने पूरे दिन का टाइम ऑडिट करें। इसके लिए तीन दिन तक सुबह से रात तक आपने क्या किया, इसकी वास्तविक लिस्ट बनाएँ। एक कॉपी में सुबह दस से साढ़े दस, साढ़े दस से ग्यारह, ग्यारह से साढ़े ग्यारह, साढ़े ग्यारह से बारह, ऐसे बहुत से आधे घंटों के खंड बना लें। कोशिश करें कि आप जो जो करते जाएँ, वहाँ पर रिमार्क्स लिखते जाएँ। इससे आपको समझ आएगा कि दिन में कितना समय आपने कहाँ दिया। मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है की आज के युग में अधिकांश लोग पाएंगे कि उन्होने अपना बहुत बड़ा समय मोबाइल या इंटरनेट जैसी टेक्नालजी को दिया।
इस टेकनोंलाजी के भी दो हिस्से हैं एक वह जो जरूरी है और एक जो जरूरी नहीं है। ज्यादा जरूरी वाले हिस्से को अगर आप समय दे रहे हैं, तो कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन जो कम जरूरी या गैरजरूरी पर फोकस लगा रहे है तो ऐसे स्थिति में आप अपने कीमती समय को खत्म कर रहे हैं। यदि आप एक सामान्य व्यक्ति हैं, तो आपको कोई आवश्यकता नहीं कि आप अपना सारा दिन व्हाट्स अप, फ़ेसबुक या टिवीटर देखते रहे। इस बात की भी कतई आवश्यकता नहीं है कि आप बार-बार ईमेल खोल के देखें। आप अपने टीम मेम्बर, अपने स्टाफ या किसी और व्यक्ति को यह दायित्व दे कि वो सिर्फ महत्वपूर्ण इ-मेल्स को आपकी ओर फॉरवर्ड करें।
साथियों, सच यह है कि टेकनालोजी को हमारा गुलाम और मददगार बनने के लिए बनाया गया था लेकिन अफसोस की बात यह है कि बहुत सारे लोगों की मालिक बन गयी है यह टेकनालोजी।
इस स्थिति से बचने के लिए सबसे पहले आप हर दिन एक जीरो टेकनालोजी टाईम तय करें। जब भी आप किसी महत्वपूर्ण विषय पर सोच रहे हों, जब भी आप कोई महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हों, जब भी आप किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति से मिल रहे हों, जब आप परिवार के साथ हों, ऐसे नितांत महत्वपूर्ण अवसरों पर आप टेकनालोजी से कुछ देर के लिए तलाक ले लीजिये।
जब कोई व्यक्ति आपसे मिलने आए हों, उस वक़्त फोन, व्हाट्सएप, फ़ेसबुक की जगह उस व्यक्ति से मिलने पर फोकस करें। जब आप कोई बड़ी चीज़ सोच रहे है, तो उस वक़्त शत-प्रतिशत बिना किसी व्यवधान के सोंचे। जब आप अपने बच्चों के साथ खेल रहें हों,तो शत- प्रतिशत बच्चा बन जाए और उनकी हर खुशी में शामिल हों। जब आप भोजन कर रहे हैं, तो भोजन पर ध्यान लगाएँ। कभी सोचिए कि हम आखिर किसके लिए कमाते है जब हम खाना खाते हुए भी बिना फोन के नहीं रह सकते हैं।
मेरी बात के विरोध में आपके पास सौ किस्म के बहाने और तर्क तैयार होंगे, लेकिन यदि आप आम से हटकर खास बनना चाहते हैं, यदि आप भीड़ से हटकर विशिष्ट बनना चाहते हैं, तो आपको यह कठिन निर्णय लेना ही होगा। आपको खुद पर फोकस करना ही होगा और खुद पर फोकस करने के लिए अतिरिक्त टाइम चाहिए। वो अतिरिक्त टाइम आप ज़रूरी कामों में से काटकर नहीं निकाल सकते, वो अतिरिक्त टाइम आपको गैर ज़रूरी हिस्से में से ही निकालना पड़ेगा। सबसे ज्यादा गैर जरूरी वक़्त मोबाइल पर जा रहा है।
पहले एक घंटे का टेक्नालजी ब्रेक लीजिये, फिर बढ़ाते जाइए। धीरे-धीरे लोगों को पता लग जाएगा कि आप खाना खाते वक़्त फोन नहीं उठाते है। आप परिवार के साथ रहते है, तो फोन नहीं उठाते। आप जब किसी भी महत्वपूर्ण विषय पर चिंतन कर रहे हो, तो फोन नहीं उठाते आदि-आदि। तो उसके बाद, वो आपको ऐसे समय पर डिस्टर्ब करना बंद कर देंगे। इससे आपके जीवन में खुद के लिए समय पैदा होगा और धीरे-धीरे आपके ब्रांड वैल्यू में भी वृद्धि होगी।
धन्यवाद,
डॉ उज्ज्वल पाटनी
Business Coach | Motivational Speaker