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सकारात्मक सोच से आता है अद्भुत परिवर्तन

Writer's picture: Dr. Ujjwal PatniDr. Ujjwal Patni

मित्रों , व्यक्तित्व विकास की ढेरों पुस्तकें पढ़ने के बाद अक्सर सकारात्मक सोच और नज़रिये आदि विचार किताबी लगने लगते हैं। लोगों को लगता है कि वे सब कोरी फिलोसोफी है और ऐसी पुस्तकों से किसी को कुछ हासिल नहीं होता । कुछ लोगों का तो यह भी मानना है कि इन पुस्तकों के अधिकांश सिद्धान्त ऐसे होते हैं जिनका वास्तविक जीवन में कोई मोल नहीं होता।


मैं शत प्रतिशत ऐसे लोगों से सहमत हूँ कि कोई भी प्रेरक प्रसंग किसी की ज़िंदगी नहीं बदल सकता, कोई किताब किसी की उलझन नहीं सुलझा सकती , कोई भी सार पूर्ण कहानी किसी को राह नहीं दिखा सकती, कोई भी सिर्फ किताब पढ़कर आज तक करोड़पति नहीं हुआ क्योंकि सबसे महत्वपूर्ण उन विचारों को पढ़ने वाला व्यक्ति है। यदि पाठक बदलना नहीं चाहता ,अपनी कमजोरियों और असफलता के साथ जीना चाहता है तो प्रेरक पुस्तकें और सकारात्मक विचार , सब बेकार हैं।



मैं जब स्कूल में था तो मेरे मामाजी मुझे पढ़ने के लिए प्रेरक पुस्तकें देते थे , मुझे जो महाबोर काम लगता था । ऐसा लगता था कि संसार की सबसे उबाऊ पुस्तकें हाथ में थमाकर मुझे सज़ा दी गयी है। तब मैंने हर संभव उससे बचने की कोशिश की लेकिन आज मैं सकारात्मक सोच पर देश विदेश में सेमिनार लेता हूँ और लाखों लोगों को हर साल सकारात्मक सोच की ताकत के बारे में बताता हूँ । यह बात धीरे धीरे समझ में आई कि नकारात्मक विचार ऐसा वाइरस है जो आपके सपनों और मनोबल को ध्वस्त कर देता है और नकारात्मक लोगों का साथ तो उससे भी हानिकारक है क्योंकि वे तरक्की के रास्ते पे हर वक्त बेड़िया बनके पड़े रहते हैं । ज़रा सोचिए, एक ही क्लास , एक ही टीचर, एक जैसा कोर्स होते हुए भी उसी क्लास में से एक डॉक्टर , इंजीनियर या वैज्ञानिक पैदा होता है और उसी क्लास से एक अपराधी , यह फर्क आखिर कैसे पैदा होता है । एक जैसे माहौल में एक व्यक्ति सफल और समृद्ध हो जाता है और एक जीवन भर मुश्किलों से जूझता रहता है, ऐसा क्यों? यह सब कुछ सोच का कमाल है।


यदि आप स्वयं पर विश्वास करते हैं, जीवन के प्रति गंभीर हैं, आपका लक्ष्य आपको ज्ञात है तथा आप सही सोचते हैं तो कोई कारण नहीं कि आप सफल हो जाएँ। कुछ लोगों को लगता है कि सकारात्मक सोच के बारे में वो सब कुछ जानते हैं और धिरूभाई अंबानी और अब्राहम लिंकन जैसे उदाहरण उन्होने भी पढ़े हैं। मैं ऐसे सभी लोगों से कहना चाहता हूँ कि सिर्फ जानने से और पढ़ने से कुछ नहीं बदलता। अक्सर बेहतरीन प्रेरणादायी विचार भी लोगों को बादल नहीं पाते क्योंकि इस मैं ज्ञानी हूँ नाम की बीमारी के कारण दिमाग में ग्रहण करने का दरवाजा बंद हो जाता है। ये प्रेरणादायी विचार झँझोड़ नहीं पाते, उद्वेलित नहीं कर पाते क्योंकि लोग ऐसे विचारों को दिमाग में प्रवेश ही नहीं करना देते हैं।


यदि जीवन में आप सकारात्मक सोच का आनंद लेना चाहते हैं , उसकी ताकत से जीवन बदलना चाहते हैं तो आपको सीखना शुरू करना होगा और मैं ज्ञानी हूँ, नामक बीमारी को मिटाना होगा। कितनी ही ऐसी बातें हैं जिन्हें हम जानते हैं लेकिन फिर भी अमल नहीं करते , जैसे सब जानते हैं कि गुस्सा संबंधों को नष्ट करता है, फिर भी गुस्सा करते हैं। सब जानते हैं कि दो नंबर का कार्य करते हुए पकड़े जाने पर जेल हो सकती है लेकिन फिर भी करते हैं । सब जानते हैं कि जल्दी सोना चाहिए और ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए लेकिन दुनिया में कितने लोग ऐसा करते हैं ? सब जानते हैं कि सिगरेट, पान गुटखा , शराब जानलेवा होता है लेकिन हर दूसरा आदमी इन आदतों में फंसा है। सब जानते हैं कि तेज गाड़ी चलाने से एक्सिडेंट हो सकता है लेकिन अधिकांश युवा हवा की तरह गाड़ी भगाते हैं।





कहने का अर्थ यह है कि ऐसी हजारों बातें हैं जिन्हें हम जानते हैं पर अमल में नहीं लाते और अंत में उनकी कीमत चुकाते हैं , इसलिए जानने से ज़्यादा महत्वपूर्ण है, अमल में लाना। प्रसिद्ध कृति जीत या हार रहो तैयार में मैंने स्पष्ट लिखा है कि यदि एक अति बुद्धिमान सौ बातें जनता है और सिर्फ पाँच अमल में लाता है तो उसकी तुलना में वह सामान्य आदमी बेहतर है जो दस बातें जानता है और उनमें से छह अमल में लाता है।अच्छे विचारों को आत्मसात करिए। स्वस्थ सोच को पोषण दीजिये व अपने बारे में अच्छा सोचिए। हर वक्त समस्या के बारे में रोते रहने के बजाय समाधान ढूंढिए। हर वक्त इस बात पर दुख मत मनाइये कि आपके पास क्या नहीं है, यह सोचिए कि आपके पास क्या ऐसा है जो दूसरों के पास नहीं है।



सकारात्मक सोच पर आधारित पुस्तकें व लेख पढ़िये, हजारों रिसर्च यह सिद्ध कर चुकी है कि आप जो भी पढ़ते हैं और जैसे भी माहौल में रहते हैं, वह सब आपके मन मस्तिष्क को प्रभावित करता है। यदि आज अच्छा सोचेंगे और अच्छा पढ़ेंगे तो आपका दिमाग उसी अनुसार कार्य करेगा। किसी विचारक ने कहा भी है आपके साथ जो कुछ भी हो रहा है, आप जहां भी हैं , वह सब आपके विचारों व सोच का प्रतिबिंब है, इसलिए स्वयं के बारे में पूरे वर्ष ऊंचे ख्याल रखिए, बेहतरीन समृद्धि के सपने देखिये क्योंकि आपके विचार इस समृद्धि को आकर्षित करेंगे। अपने परिवारजनों को प्रोत्साहित कीजिये। हर बात में मीन मेख निकालने कि बजाय प्रशंसा करने की आदत डालिए। परिणामों से आप आश्चर्य में पड़ जाएंगे क्योंकि अचानक ही अवसर आपके पास चलकर आने लगेंगे। लोगों की सोच आपके प्रति बेहतर होने लगेगी। लोग आपके साथ समय बिताना चाहेंगे और आप समृद्धि व लोकप्रियता की ओर बढ़ेंगे ।


धन्यवाद |
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